दायबद्ध - एक सशक्त रंगमंचीय गाथा,कर्तव्य,द्वंद्व और समर्पण की कहानी
कोलकाता : नैहाटी ब्रत्यजन की प्रस्तुति ‘दायबद्ध (कर्तव्य से बंधे)’ का 31वां मंचन मधुसूदन मंच पर सभागार में भावनात्मक एवं सामाजिक रूप से प्रासंगिक नाटक ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘दायबद्ध’ रिश्तों की गहराई और विशेष रूप से पिता की अवधारणा पर एक दार्शनिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो इस प्रश्न को उठाता है कि क्या केवल जैविक संबंध ही प्रेम और जिम्मेदारी का एकमात्र आधार हैं। नाटक कर्तव्य, नैतिकता, और समाज द्वारा व्यक्ति पर थोपे गए मानदंडों की गहराई से पड़ताल करता है, और पारंपरिक पिता की छवि पर पुनर्विचार करने को प्रेरित करता है।वरिष्ठ अभिनेता पार्थ भौमिक ने पिता की भूमिका में एक संवेदनशील और बहुआयामी अभिनय प्रस्तुत किया, जिसमें प्रेम और कर्तव्य के द्वंद्व को उन्होंने शांत तथा गहराई से निभाया। माँ की भूमिका में देबजानी सिंघा ने भी मंच पर अपनी सशक्त उपस्थिति से दर्शकों की सराहना प्राप्त की। देबाशीष रॉय की सजीव रंगमंचीय सज्जा और समीर सरकार द्वारा रचित भावपूर्ण ध्वनि-प्रसंस्करण ने प्रस्तुति के भावनात्मक प्रभाव को और अधिक गहराई प्रदान की, जिससे कथा और अधिक प्रभावशाली बन गई।इस संध्या में अनेक विशिष्ट अतिथियों और समाज के विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर बैरकपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं प्रसिद्ध निर्देशक-निर्माता श्री राज चक्रवर्ती तथा भारतीय सिनेमा की अग्रणी अभिनेत्री सुभश्री गांगुली विशेष रूप से उपस्थित थी। इसके अतिरिक्त, प्रतिष्ठित शिक्षाविद, ख्यातिप्राप्त कलाकार, सम्मानित लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं अन्य विशिष्ट जनों ने भी इस सांस्कृतिक संध्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।यह केवल एक नाट्य प्रस्तुति नहीं थी, बल्कि यह एक चिंतनशील और संवादात्मक शाम बन गई। ‘दयाबद्ध’ के माध्यम से नैहाटी ब्रत्यजन ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि वह समकालीन सामाजिक मुद्दों और नैतिक प्रश्नों को केंद्र में रखकर विचारोत्तेजक रंगमंच प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
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