देशभर में विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई जाएगी दादी प्रकाशमणि की 18वीं पुण्य तिथि
आबूरोड। ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की 18वीं पुण्यतिथि 25 अगस्त को देशभर में विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई जाएगी। दादी को श्रद्धांजली देने के लिए देशभर से बड़ी संख्या में भाई-बहनें पहुंच चुके हैं। वहीं मुख्यालय शांतिवन में दादी की स्मृति में बने प्रकाश स्तंभ को विशेष रूप से फूलों से सजाया जा रहा है। संस्थान के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी प्रकाश स्तंभ पहुंचकर दादी को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।
ब्रह्माकुमारीज़ के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने के बाद वर्ष 1969 में दादी प्रकाशमणि ने इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की बागडोर संभाली। वर्ष 2007 तक 38 साल मुख्य प्रशासिका के रूप में सेवाओं को विश्व पटल तक पहुंचाया। आपकी दूरदृष्टि, कुशल प्रशासन, स्नेह, विश्व बंधुत्व की भावना और परमात्म शक्ति का ही नतीजा है कि विश्व के 137 से अधिक देशों में भारतीय पुरातन संस्कृति अध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन का संदेश पहुंचाया। साथ ही भारत के कोने-कोने में सेवा केंद्रों की स्थापना की गई। आपके त्याग, लगन और परिश्रम का परिणाम है कि आपके सान्निध्य में ही 40 हजार से अधिक ब्रह्माकुमारी बहनें समर्पित हो चुकी थीं।
दादी प्रकाशमणि की निज सचिव रहीं वर्तमान में अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी ने दादी के संस्मरण बताते हुए कहा कि मैं जब 13 वर्ष की थी, तब दादीजी के पास सेवा के लिए आ गई थी। दादीजी ने मुझे हर एक बात सिखाई। दादी के साथ रहकर प्रबंधन कला, नेतृत्व कला सीखी। दादी की दूरदृष्टि, नेतृत्व कला, विश्व बंधुत्व की भावना की बदौलत ब्रह्माकुमारीज़ की सेवाएं माउंट आबू से विश्व गगन में फैलीं। आपके जीवन के तीन मूलभूत सिद्धांत थे, जिन पर वह आजीवन चलीं। पहला निमित्त भाव, दूसरा निर्माण भाव, तीसरा निर्मल वाणी। दादी कहती थीं- पवित्रता और सादगी ही जीवन का सच्चा शृंगार है। सर्व को आत्मिक प्यार की अंजली देते हुए सदा संतुष्ट रखना है। सदा स्वमान में रह सर्व को सम्मान देना है।
समाजसेवा प्रभाग द्वारा विश्व बंधुत्व दिवस के उपलक्ष्य में भारत सहित नेपाल में चलाए जा रहे रक्तदान अभियान में तीन दिन में 1270 रक्तदान शिविर आयोजित किए गए। इनके माध्यम से 70 हजार यूनिट से अधिक रक्तदान किया जा चुका है। इसके अलावा 25 अगस्त को भी देशभर में 250 से अधिक स्थानों पर शिविर लगाए जाएंगे। कुल 1500 रक्तदान शिविरों के माध्यम से एक लाख यूनिट से अधिक रक्तदान करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसका गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज किया जाएगा।
साथ ही दादी की याद में ब्रह्ममुहूर्त में 3 बजे से देर रात तक योग-साधना का दौर जारी रहेगा। वहीं संस्थान के माउंट आबू स्थित पांडव भवन, ज्ञान सरोवर में भी श्रद्धांजली कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। दादी की याद में परमात्मा को विशेष भोग लगाकर वरिष्ठ पदाधिकारी दादी के साथ के अपने अनुभव सांझा करेंगे।
बता दें कि अविभाज्य भारत के सिंध प्रांत में वर्ष 1922 में (अब पाकिस्तान में) दादी प्रकाशमणि का जन्म हुआ था। अपनी नैसर्गिक प्रतिभा, दिव्य दृष्टि और मन-मस्तिष्क के विशेष गुणों की सहज वृत्ति के कारण 14 वर्ष की अल्पायु में ही इस संस्था के सम्पर्क में आईं। 1936 में अपना जीवन परमात्म कार्य एवं मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया। 25 अगस्त 2007 को 85 वर्ष की आयु में आप यह नश्वर देह त्यागकर अव्यक्त हो गई थीं।
ब्रह्माकुमारीज़ के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने के बाद वर्ष 1969 में दादी प्रकाशमणि ने इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की बागडोर संभाली। वर्ष 2007 तक 38 साल मुख्य प्रशासिका के रूप में सेवाओं को विश्व पटल तक पहुंचाया। आपकी दूरदृष्टि, कुशल प्रशासन, स्नेह, विश्व बंधुत्व की भावना और परमात्म शक्ति का ही नतीजा है कि विश्व के 137 से अधिक देशों में भारतीय पुरातन संस्कृति अध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन का संदेश पहुंचाया। साथ ही भारत के कोने-कोने में सेवा केंद्रों की स्थापना की गई। आपके त्याग, लगन और परिश्रम का परिणाम है कि आपके सान्निध्य में ही 40 हजार से अधिक ब्रह्माकुमारी बहनें समर्पित हो चुकी थीं।
दादी प्रकाशमणि की निज सचिव रहीं वर्तमान में अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी ने दादी के संस्मरण बताते हुए कहा कि मैं जब 13 वर्ष की थी, तब दादीजी के पास सेवा के लिए आ गई थी। दादीजी ने मुझे हर एक बात सिखाई। दादी के साथ रहकर प्रबंधन कला, नेतृत्व कला सीखी। दादी की दूरदृष्टि, नेतृत्व कला, विश्व बंधुत्व की भावना की बदौलत ब्रह्माकुमारीज़ की सेवाएं माउंट आबू से विश्व गगन में फैलीं। आपके जीवन के तीन मूलभूत सिद्धांत थे, जिन पर वह आजीवन चलीं। पहला निमित्त भाव, दूसरा निर्माण भाव, तीसरा निर्मल वाणी। दादी कहती थीं- पवित्रता और सादगी ही जीवन का सच्चा शृंगार है। सर्व को आत्मिक प्यार की अंजली देते हुए सदा संतुष्ट रखना है। सदा स्वमान में रह सर्व को सम्मान देना है।
समाजसेवा प्रभाग द्वारा विश्व बंधुत्व दिवस के उपलक्ष्य में भारत सहित नेपाल में चलाए जा रहे रक्तदान अभियान में तीन दिन में 1270 रक्तदान शिविर आयोजित किए गए। इनके माध्यम से 70 हजार यूनिट से अधिक रक्तदान किया जा चुका है। इसके अलावा 25 अगस्त को भी देशभर में 250 से अधिक स्थानों पर शिविर लगाए जाएंगे। कुल 1500 रक्तदान शिविरों के माध्यम से एक लाख यूनिट से अधिक रक्तदान करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसका गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज किया जाएगा।
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