अमेरिकी टैरिफ की चुनौतियों के बीच मुद्दा बना हस्तशिल्प निर्यात बाजार EPCH

0 आशा पटेल 0 
जोधपुर । हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद ने जोधपुर में ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना की अध्यक्षता में यूरोपीय संघ वन कटाई विनियमन (ईयूडीआर), हस्तशिल्पों के निर्यात पर भविष्य में अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर एक जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया, जिसमें ईपीसीएच के महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ.राकेश कुमार ; ईपीसीएच के मुख्य संयोजक अवदेश अग्रवाल ; ईपीसीएच के सीओए सदस्य हंसराज बाहेती ; राजस्थान के प्रमुख निर्यातक सदस्य नरेश बोथरा, निर्मल भंडारी, लेखराज माहेश्वरी, राधेश्याम रंगा, राजू मेहता, प्रियेश भंडारी भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में राजस्थान भर से लगभग 200 निर्यातकों और हितधारकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में चर्चा का मुख्य विषय ईयूडीआर के तहत लकड़ी के निर्यातकों द्वारा सामना की जाने वाली अनुपालन आवश्यकताएं और उन्हें आने वाली उत्पादन में बाधाएं और हालिया अमेरिकी टैरिफ के प्रभावों को लेकर भी चिंता जताई गई। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि इस दौरान अधिकारियों ने धातु शिल्प (मेटल क्राफ्ट) पर एक डिजाइन एवं प्रौद्योगिकी विकास कार्यशाला (डीडीडब्ल्यू) का भी उद्घाटन किया।
इस पहल का उद्देश्य भारत की सबसे मजबूत पारंपरिक शिल्प कलाओं में से एक- धातु हस्तशिल्प- में तकनीकी कौशल को बढ़ाना, डिजाइन में नवाचार और उत्पादों में विविधता लाना है। इस कार्यक्रम के दौरान, ईपीसीएच ने विश्वस्तर पर सराहे गए आईएचजीएफ- दिल्ली मेले के 61वें संस्करण की नई तारीखों की भी घोषणा की, जिसे 14 से 18 फरवरी 2026 तक ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर ऐंड मार्ट में आयोजित किया जाएगा। 
हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित उत्पादों की दुनिया की सबसे बड़ी प्रदर्शनियों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त यह मेला घरेलू सजावट, जीवनशैली, फैशन, फर्नीचर और फर्निशिंग उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण सोर्सिंग प्लेटफॉर्म बना हुआ है। इस सेक्टर के सभी स्टेकहोल्डर, प्रतिभागी और आगंतुक इस बहुप्रतीक्षित व्यापारिक आयोजन के माध्यम से नए व्यापार अवसरों की खोज के लिए उत्सुक रहते हैं, जो विदेशी खरीदारों, खरीदारी एजेंट और सोर्सिंग पेशेवरों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर घरेलू खुदरा खरीदारों का भी स्वागत करता है।
नई तारीखों का एलान करते हुए ईपीसीएच के अध्यक्ष डॉ. नीरज खन्ना ने साझा किया कि, “आईएचजीएफ दिल्ली मेला के 61वें स्प्रिंग'26 संस्करण को 'विशेष फर्नीचर संस्करण' के रूप में पुनः स्थापित किया गया है। यह स्प्रिंग संस्करण में प्रदर्शित किए जाने वाले होम, लाइफस्टाइल, फैशन, फर्निशिंग एवं डेकोर के उत्पादों से बढ़कर होगा, जिससे यह हाल के वर्षों के सबसे बहुप्रतीक्षित संस्करणों में से एक बन गया है।

 फर्नीचर पर केंद्रित संस्करण बनाने और इसे अंतरराष्ट्रीय सोर्सिंग कैलेंडर के अनुसार घरेलू और उपभोक्ता उत्पादों के एक प्रमुख वैश्विक व्यापार मेले एम्बिएंते फ्रैंकफर्ट 2026 के तुरंत बाद आयोजित करने का हमारा निर्णय इस बात को दर्शाता है कि हम भारतीय निर्यातकों को बेहतरीन अवसर देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।“
डॉ. खन्ना ने कहा, “इस बार भारतीय फर्नीचर प्रदर्शकों के लिए, चाहे वो स्थापित हों या उभरते हुए, 

अधिक जगह और उनको समर्पित खास हॉल और थीम पर आधारित पेशकश के साथ; 61वें आईएचजीएफ दिल्ली मेला स्प्रिंग भारतीय फर्नीचर निर्यातकों को एक अधिक बिजनेस-केंद्रित और फायदेमंद मंच देगा। मैं खासतौर पर जोधपुर के प्रदर्शकों और निर्यातकों से अपील करता हूं, जो अपनी लकड़ी की फर्नीचर, लाइफस्टाइल प्रोडक्ट्स और विशिष्ट शिल्प परंपराओं के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं कि वे इस अनूठे मंच का भरपूर इस्तेमाल करें, अपना वैश्विक कारोबार बढ़ाएं और 61वें संस्करण को एक यादगार मेला बनाएं।

 डॉ. खन्ना ने निर्यातकों को घरेलू बाज़ार और जोधपुर, जयपुर और मुरादाबाद में भारत का पहला बी2बी कैश एंड कैरी स्टोर में संभावनाएं तलाश करने के लिए भी प्रोत्साहित किया I रणनीतिक औचित्य के महत्व को बताते हुए ईपीसीएच के महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा, "यूरोपीय संघ के वनों की कटाई से संबंधित नियम लकड़ी के हस्तशिल्प निर्यातकों के लिए, खासकर एमएसएमई और कारीगर-आधारित उद्यमों के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करते हैं।

 हम दीर्घकालिक और जिम्मेदार व्यापार का पूरा समर्थन करते हैं, लेकिन हमारे लकड़ी के हस्तशिल्प क्षेत्र की अनूठी प्रकृति को पहचानना जरूरी है, जो एग्रोफॉरेस्ट्री या कृषि वानिकी पर आधारित है और वनों की कटाई में इसका कोई योगदान नहीं है।"डॉ. राकेश कुमार ने कहा, "इस क्षेत्र को हाल ही में अमेरिका के टैरिफ वृद्धि जैसे मुद्दों से भी निपटना होगा। अमेरिका भारत के हस्तशिल्प निर्यात का 40% से अधिक हिस्सा खरीदता है, और नए टैरिफ हमारे शिपमेंट को एक-तिहाई तक घटा सकते हैं।

 ऐसी परिस्थिति में, खास रणनीतिक कार्रवाइयां या लक्षित हस्तक्षेप और बाजार के मुताबिक रणनीतियां बेहद जरूरी हैं और ईपीसीएच नीतिगत वकालत और निर्यात संवर्धन के बीच संतुलन बनाकर हमारे हस्तशिल्प निर्यातकों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।" डॉ. कुमार ने निर्यातकों से यूरोपीय संघ, मध्य पूर्व, पूर्वी एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे उभरते और उच्च-संभावना वाले क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का आग्रह किया ।

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने कहा, "61वें आईएचजीएफ दिल्ली मेला - स्प्रिंग 2026 का पुनर्निर्धारण हस्तशिल्प क्षेत्र की बदलती जरूरतों के प्रति ईपीसीएच की जवाबदेही को दर्शाता है। इसके साथ ही हम बाजार में विविधता लाने और दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहे हैं, ताकि इस चुनौतीपूर्ण समय में हमारे निर्यातकों को पूरा सहयोग मिल सके।"

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न हस्तशिल्प क्लस्टर्स में काम कर रहे लाखों कारीगरों के जादुई हाथों से बने उत्पादों जैसे होम डेकोर, लाइफस्टाइल, टेक्सटाइल, फर्नीचर, फैशन जूलरी एवं एक्सेसरीज़ को वैश्विक ब्रांड बनाने की दिशा में कार्य करने वाली एक नोडल एजेंसी है। 

उन्होंने बताया कि साल 2024-25 के दौरान हस्तशिल्प का कुल निर्यात रु 33,123 करोड़ (3,918 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा और साल 2024-25 के दौरान काष्ठ हस्तशिल्पों का निर्यात रु 8,524.74 करोड़ (1,008.04 मिलियन अमेरिकी डॉलर) था, जिसमें रुपये के संदर्भ में 6% और अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में 3.84% की वृद्धि दर्ज की गई, अकेले यूरोपीय संघ को कुल रु 2,591.29 करोड़ (306.40 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के निर्यात किए गए। साल 2024-25 के दौरान अमेरिका को कुल रु 2,591.29 करोड़ (306.40 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के हस्तशिल्पों के निर्यात किए गए जो कि भारत से किए गए कुल हस्तशिल्प निर्यात का 40% से अधिक हिस्सा है।

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