भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर ने सिंगापुर के साथ शैक्षणिक एवं शोध सहयोग को मज़बूत किया
नयी दिल्ली : भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर (भा.प्र.सं. रायपुर), एन.आई.टी. रायपुर तथा आई.आई.टी. भिलाई ने संयुक्त रूप से सिंगापुर के महावाणिज्य दूतावास के कौंसुल (राजनीतिक) जेरोम वोंग एवं सुश्री एरिका के साथ उच्च-स्तरीय संवाद किया। इस बैठक का उद्देश्य शैक्षणिक एवं शोध सहयोग के नए मार्ग तलाशना था। यह बैठक भारत–सिंगापुर राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगाँठ की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई तथा शिक्षा, नवाचार और कौशल विकास के क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा बनाने पर केंद्रित रही।
बैठक में वरिष्ठ शैक्षणिक लीडर्स ने भाग लिया, जिनमें प्रो. संजीव प्राशर, निदेशक-प्रभारी, भा.प्र.सं. रायपुर; प्रो. राजीव प्रकाश, निदेशक, आई.आई.टी. भिलाई; डॉ. एन.वी. रमण राव, निदेशक, एन.आई.टी. रायपुर; अजीत भटपहाड़ी, जी.एम.-सी.एस.टी.डी.सी.; प्रो. सुमीत गुप्ता, भा.प्र.सं. रायपुर; तथा डॉ. अनुज शुक्ला, एन.आई.टी. रायपुर उपस्थित रहे।
सिंगापुर सरकार और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के बीच सहयोग के व्यापक अवसरों पर विचार हुआ। छत्तीसगढ़ को उसके बढ़ते औद्योगिक आधार के कारण सेमीकंडक्टर विकास और उससे संबंधित सहयोग का संभावित केंद्र बताया गया। सिंगापुर के विश्वविद्यालयों के साथ संयुक्त पाठ्यक्रम शुरू करने तथा अंतरराष्ट्रीय छात्र विनिमय कार्यक्रमों के विस्तार पर भी सहमति बनी।
सिंगापुर के प्रतिनिधियों ने भारतीय संस्थानों और सिंगापुर के विश्वविद्यालयों के बीच शोध सहयोग, छात्र विनिमय एवं द्वैध-डिग्री कार्यक्रमों की संभावनाओं को साकार करने के लिए सक्रिय सहयोग की इच्छा व्यक्त की। इन सहयोगों को सक्षम बनाने के लिए डेटा सेंटर और डिजिटल अवसंरचना की महत्ता पर भी बल दिया गया। छत्तीसगढ़ सरकार और सिंगापुर सरकार के प्रतिनिधियों ने छत्तीसगढ़ एवं सिंगापुर में स्थित विश्वविद्यालयों, उद्योगों और नीतिगत निकायों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की।
सभी लीडर्स ने साझा दृष्टिकोण को दोहराया कि भारत और सिंगापुर के संस्थान मिलकर शोध, नवाचार और सतत विकास के लिए मंच तैयार करें। भारत के नवाचार-उन्मुख शैक्षणिक संस्थानों और सिंगापुर की कौशल-आधारित शिक्षण एवं शोध विशेषज्ञता को मिलाकर वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक ऐसे कार्यक्रम बनाए जाएँगे जो विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करें।
बैठक में वरिष्ठ शैक्षणिक लीडर्स ने भाग लिया, जिनमें प्रो. संजीव प्राशर, निदेशक-प्रभारी, भा.प्र.सं. रायपुर; प्रो. राजीव प्रकाश, निदेशक, आई.आई.टी. भिलाई; डॉ. एन.वी. रमण राव, निदेशक, एन.आई.टी. रायपुर; अजीत भटपहाड़ी, जी.एम.-सी.एस.टी.डी.सी.; प्रो. सुमीत गुप्ता, भा.प्र.सं. रायपुर; तथा डॉ. अनुज शुक्ला, एन.आई.टी. रायपुर उपस्थित रहे।
सिंगापुर सरकार और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के बीच सहयोग के व्यापक अवसरों पर विचार हुआ। छत्तीसगढ़ को उसके बढ़ते औद्योगिक आधार के कारण सेमीकंडक्टर विकास और उससे संबंधित सहयोग का संभावित केंद्र बताया गया। सिंगापुर के विश्वविद्यालयों के साथ संयुक्त पाठ्यक्रम शुरू करने तथा अंतरराष्ट्रीय छात्र विनिमय कार्यक्रमों के विस्तार पर भी सहमति बनी।
सिंगापुर के प्रतिनिधियों ने भारतीय संस्थानों और सिंगापुर के विश्वविद्यालयों के बीच शोध सहयोग, छात्र विनिमय एवं द्वैध-डिग्री कार्यक्रमों की संभावनाओं को साकार करने के लिए सक्रिय सहयोग की इच्छा व्यक्त की। इन सहयोगों को सक्षम बनाने के लिए डेटा सेंटर और डिजिटल अवसंरचना की महत्ता पर भी बल दिया गया। छत्तीसगढ़ सरकार और सिंगापुर सरकार के प्रतिनिधियों ने छत्तीसगढ़ एवं सिंगापुर में स्थित विश्वविद्यालयों, उद्योगों और नीतिगत निकायों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की।
सभी लीडर्स ने साझा दृष्टिकोण को दोहराया कि भारत और सिंगापुर के संस्थान मिलकर शोध, नवाचार और सतत विकास के लिए मंच तैयार करें। भारत के नवाचार-उन्मुख शैक्षणिक संस्थानों और सिंगापुर की कौशल-आधारित शिक्षण एवं शोध विशेषज्ञता को मिलाकर वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक ऐसे कार्यक्रम बनाए जाएँगे जो विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करें।
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