बर्लिन में लहराया तिरंगा,गूंजे "भारत माता की जय" प्रवासी भारतीयों ने मनाया स्वतंत्रता दिवस

० योगेश भट्ट ० 
बर्लिन, जर्मनी। भारत की आज़ादी के गौरवमयी इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को नमन करते हुए, जर्मनी की राजधानी बर्लिन में प्रवासी भारतीय समुदाय ने 15 अगस्त का पर्व उत्साहपूर्ण माहौल में मनाया। विदेशी धरती पर मातृभूमि के प्रति प्रेम और निष्ठा का यह अद्भुत नज़ारा हर किसी के मन में देशभक्ति की लहर जगा रहा था।

इस आयोजन में भारत से आए मेहमानों के साथ बर्लिन में प्रवासी भारतीय और उनके परिवार बड़ी संख्या में शामिल हुए। जैसे ही राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराया,पूरा वातावरण "भारत माता की जय" और "हिन्दुस्तान ज़िंदाबाद" के नारों से गूंज उठा। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के चेहरों पर गर्व और खुशी की चमक देखते ही बनती थी, मानो वे कुछ पलों के लिए भारत की मिट्टी पर लौट आए हों।

इस अवसर पर राष्ट्र टाइम्स के संपादक विजय शंकर चतुर्वेदी ने कहा विदेश में आकर भी हमारा दिल भारत की धड़कनों से जुड़ा है। हमें अपने देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए हमेशा एकजुट रहना चाहिए। यह स्वतंत्रता हमें सहज नहीं मिली, इसके लिए असंख्य वीरों ने अपने प्राण न्यौछावर किए। हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल भारत का गौरव बढ़ाएं बल्कि आने वाली पीढ़ियों में भी भारतीय संस्कृति और संस्कारों का दीप जलाए रखें।"

उन्होंने यह भी जोड़ा कि चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में हों, भारत की आत्मा हमारे दिल में बसती है, और यही भावना हमें विश्व के सामने गर्व से खड़ा करती है। प्रवासी भारतीय पुलकित चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसे आयोजन हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखते हैं और बच्चों को भारतीय संस्कृति की पहचान कराते हैं। सुनीता चतुर्वेदी ने कहा कि विदेश में तिरंगे को लहराते देखना एक अद्भुत और गर्वपूर्ण अनुभव है, जो हमें याद दिलाता है कि हम भारतीय हैं और हमारी पहचान हमारी संस्कृति से है।

ध्वजारोहण के बाद सभी ने मौन रखकर उन अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। मंच से सभी प्रवासी भारतीयों ने संकल्प लिया कि वे जहां भी रहें, भारत की प्रतिष्ठा, संस्कृति और एकता की रक्षा करेंगे। इस आयोजन में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे गौरव कुमार, राहुल प्रियदर्शी, यश, जतिन डंडोना, प्रज्ञा, सुनीता डंडोना, सुदाम, मृत्युंजय, करुणेश कुलश्रेष्ठ, रेनू कुलश्रेष्ठ, राजकुमार डंडोना, अंकिता श्रीवास्तव, सुनीता यादव और सिया।

 यह आयोजन केवल स्वतंत्रता दिवस का उत्सव नहीं था, बल्कि प्रवासी भारतीय समुदाय की एकता, भाईचारे और देशभक्ति का जीवंत उदाहरण था। बर्लिन में बसे भारतीयों ने एक स्वर में संदेश दिया कि चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हों, उनका दिल हमेशा भारत के साथ धड़कता है।

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