दोस्ती,रिश्ता,प्यार

० मुहम्मद नासिर ० 
वक़त को लगाम नहीं है
वक़्त बे लगाम है।
वक़्त का चक्कर
लगातार चलता रहता है।

जिंदगी को कहीं क़रार नहीं।
बचपन, जवानी, बुढापा
अपने अपने वक़्त पर
आते है, चले जाते हैं।

इस तरह
हर एक चीज बदल जाती है
अपने अपने वक़्त पर।
लेकिन
रिश्ता, प्यार, और दोस्ती
वक़्त के इस चक्कर में
कभी बूढ़े नहीं होते।

ये वो नेमते हैं
जो जिंदगी के फैर में
कभी बुडी नहीं होतीं।
हर रोज़ जवां होती हैं।
क्या खूब जवान होती हैं!

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