पुराने दोस्त से मुलाकात
० मुहम्मद नासिर ०
आज एक दावत में
उस पुराने दोस्त से मुलाक़ात हो गई
जो बचपन के
बहतरीन दिनों का साथी था
जिस से सुबह ओ शाम का
कभी ना टूटने वाला नाता था
और
बचपन और आती जवानी का साथ
हम दोनो ने
साथ गुजारा था।
फिर वक़्त ने करवट ली
जिंदगी बदली
वो ना जाने कहाँ
और में ना जाने कहाँ
इस भरी दुनिया में
खो गए
एक दुस्ते से जुदा हो गए।
आज इस मुलाक़ात ने
वक़्त को
माज़ी की गोद से उठा कर
हमारे पहलू मे बिठा दिया है।
हमे हमारा बचपन
फिर से लौटा दिया है।
हम मुस्कुरा रहे हैं
एक दूसरे को
अपनी जिंदगी के वाकियात
बता रहे हैं
और यह कसम खा रहे हैं
" हमेशा मिलते रहेंगे
और जिंदगी को
ढलती उम्र में
जवान बनाए रखेंगे"
आज एक दावत में
उस पुराने दोस्त से मुलाक़ात हो गई
जो बचपन के
बहतरीन दिनों का साथी था
जिस से सुबह ओ शाम का
कभी ना टूटने वाला नाता था
और
बचपन और आती जवानी का साथ
हम दोनो ने
साथ गुजारा था।
फिर वक़्त ने करवट ली
जिंदगी बदली
वो ना जाने कहाँ
और में ना जाने कहाँ
इस भरी दुनिया में
खो गए
एक दुस्ते से जुदा हो गए।
आज इस मुलाक़ात ने
वक़्त को
माज़ी की गोद से उठा कर
हमारे पहलू मे बिठा दिया है।
हमे हमारा बचपन
फिर से लौटा दिया है।
हम मुस्कुरा रहे हैं
एक दूसरे को
अपनी जिंदगी के वाकियात
बता रहे हैं
और यह कसम खा रहे हैं
" हमेशा मिलते रहेंगे
और जिंदगी को
ढलती उम्र में
जवान बनाए रखेंगे"
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