नए ज़माने की हवा
० मुहम्मद नासिर ०
नए ज़माने की हवा से
हम बड़े परेशान
क़दम क़दम पर करती हैं
यह हम को हैरान।
हवा हमेशा से चलती है
फूल, कली इस से खिलती है।
लेकिन यह जो ज़माना
इसकी हवा निराली है
इसने फेस बुक और मैसेंजर
या हू, ट्विटर्
और व्हाट्स एप के
चिड़िया संग मे पाली है।
इस चिड़िया की चल तेज है
और इशारा खूं रेज़ है।
यह सब को बहलती है
उस जग में ले जाती है
जिस मे सब कुछ थमा हुआ है
और ज़माना रुका हुआ है।
वक़्त की यह बर्बादी है
चिड़िया फिर भी प्यारी है।
नए ज़माने की हवा से
हम बड़े परेशान
क़दम क़दम पर करती हैं
यह हम को हैरान।
हवा हमेशा से चलती है
फूल, कली इस से खिलती है।
लेकिन यह जो ज़माना
इसकी हवा निराली है
इसने फेस बुक और मैसेंजर
या हू, ट्विटर्
और व्हाट्स एप के
चिड़िया संग मे पाली है।
इस चिड़िया की चल तेज है
और इशारा खूं रेज़ है।
यह सब को बहलती है
उस जग में ले जाती है
जिस मे सब कुछ थमा हुआ है
और ज़माना रुका हुआ है।
वक़्त की यह बर्बादी है
चिड़िया फिर भी प्यारी है।
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