फिल्म "कण-कण में राम" रिलीज
o संवाददाता द्वारा o
नयी दिल्ली : भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट (इंटैक) अपनी वृत्तचित्र फिल्म "कण-कण में राम" रिलीज के लिए तैयार है, जो पूरे भारत में रामायण की परंपराओं और कथाओं से जुड़ी सांस्कृतिक समृद्धि एवं विविधता को दर्शाती है। इस फिल्म का औपचारिक शुभारंभ संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे। 23 जुलाई रिलीज के अवसर पर होने वाला यह कार्यक्रम मल्टी-पर्पज हॉल, इंटैक, 71, लोधी एस्टेट, नई दिल्ली में आयोजित होगा।
नयी दिल्ली : भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट (इंटैक) अपनी वृत्तचित्र फिल्म "कण-कण में राम" रिलीज के लिए तैयार है, जो पूरे भारत में रामायण की परंपराओं और कथाओं से जुड़ी सांस्कृतिक समृद्धि एवं विविधता को दर्शाती है। इस फिल्म का औपचारिक शुभारंभ संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत करेंगे। 23 जुलाई रिलीज के अवसर पर होने वाला यह कार्यक्रम मल्टी-पर्पज हॉल, इंटैक, 71, लोधी एस्टेट, नई दिल्ली में आयोजित होगा।
यह वृत्तचित्र भारत में रामायण के अनुष्ठानिक प्रदर्शन, नृत्य-नाटिकाएं और कठपुतली कला जैसे विभिन्न रूपों पर गहन दृष्टि डालता है। इसमें कर्नाटक की यक्षगान और उप्पिनीकुद्रू कठपुतली कला, ओडिशा की लंका पोड़ी यात्रा और रावण छाया, असम की सत्रिया परंपराएं, मेवाती भपंग प्रदर्शन और छत्तीसगढ़ का रामनामी समाज शामिल हैं।
यह वृत्तचित्र देश के विभिन्न भागों में भगवान राम की सर्वव्यापी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उपस्थिति पर जोर देता है और उनकी कहानियों एवं शिक्षाओं को धार्मिक सीमाओं से परे दर्शाता है। फिल्म का मुख्य संदेश, "कण-कण में राम", भगवान राम के दिव्य स्वरूप को दर्शाता है, जो उनके शाश्वत सार की सामूहिक चेतना के माध्यम से मानवता को जोड़ता है।
यह वृत्तचित्र देश के विभिन्न भागों में भगवान राम की सर्वव्यापी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उपस्थिति पर जोर देता है और उनकी कहानियों एवं शिक्षाओं को धार्मिक सीमाओं से परे दर्शाता है। फिल्म का मुख्य संदेश, "कण-कण में राम", भगवान राम के दिव्य स्वरूप को दर्शाता है, जो उनके शाश्वत सार की सामूहिक चेतना के माध्यम से मानवता को जोड़ता है।
इंटैक को इस महत्वपूर्ण अवसर पर सांस्कृतिक और विरासत के प्रति उत्साही, विद्वानों और आम जनता को आमंत्रित करते हुए गर्व हो रहा है। यह आयोजन भारतीय प्रदर्शन कलाओं के माध्यम से रामायण की सांस्कृतिक विविधता और चिरस्थायी विरासत का जश्न मनाने का एक अवसर होगा।
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