नन्ही परी

० मुहम्मद नासिर ० 

गोदी मे खेलती हुई
नन्ही सी इक परी
युं बन गई है जान मेरी
जिस के बिन कभी
मै रहना चाहूँ

रह ना सकूँ
उसके बिन मुझे
लगता कि जिंदगी मेरी
बे जान हो गई
नन्ही परी
तु केसे मेरी जान हो गई।

हर सम्त गूंजती हैं तेरी मुस्कुराहटें
दिन रात बड रही हैं
मेरे घर की रोनखें।
तो रोती है तो लगता

कलेजा मेरा कटे
ये दिल अजीब दर्द मे
तेरे तड़प पड़े।
तेरी अदाओं में मेरी

जन्नत है बस रही
दुनिया की हर खुशी
मेरे हमराह चल रही।

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